एक लंबे समय बाद आज कुछ लिखने का मन है मुझे नहीं पता था की आज भी कुछ लोग मेरी विचारधारा को उतना ही पसंद करते है जितना पहले पसंद किया करते थे ।मेरी लेखिनी को पढ़ना कभी उनकी पहली प्राथमिकता हुआ करती थी । लेकिन समय चक्र को वासुदेव के अतिरिक्त कोन समझ पाया ? समय की मझधार में जब इंसान बहता है तो लाख चाहने के बाद भी वो उस भँवर से नहीं निकल पता आपकी कोई भी युक्ति उस भँवर जाल को नहीं तोड़ पति आपका हर एक प्रयास विफल होता जाता है आपको लगता है शायद आप अब कभी उस किनारे तक नहीं पहुँच पाओगे जहां आपको जाना था । ये किनारे क्या है आपके स्वप्न आपकी पिपासा आपकी इच्छायें जिनको आप प्राप्त करना चाहते है लेकिन समय की धार का तीव्र वेग आपको उनसे बहुत दूर ले जाता है और एक समय के लिए लगता है अब सब कुछ ख़त्म । लेकिन सत्यता कुछ और है जो मैंने अनुभव किया है बहुत बार आपको लगता है जीवन में आपने बहुत कुछ खोया है जिसको अब प्राप्त नहीं किया जा सकता ।बहुतो प्रयास और संघर्ष के बाद भी आप अपने लक्ष्य से वंचित रहे निरन्तर मिलती असफलता से निराश होकर आप अपने भाग्य को दोष देते है या फिर किसी व्यक्ति विशेष को । लेकिन सच तो ये है जीवन में जो कुछ भी आपके साथ हो रहा है वो सब समय चक्र का एक हिसा है जो पूर्णतः आपके कर्मो पर आधारित है। विस्वास कीजिए ज़िंदगी आपको कुछ भी नहीं देती ये सिर्फ़ लौटाती है आपने ज़िंदगी को जो दिया है ये वही आपको लौटाएगी। बस थोड़ी प्रतीक्षा कीजिए समय चक्र और प्रकृति को आपके कर्मो का मूल्यांकन करने दीजिए फिर आपके सामने होगा आपका परिणाम जो आपको सूद सहित लौटाया जाएगा । जीवन बहुत बड़ा है संघर्ष और प्रयास की प्रथम अवस्था को ही आप अंतिम मान लेते हो, मैंने बहुत लोगो को सुना है जो बोलते है छोटी सी ज़िंदगी है कट जाएगी ऐसे ही …
बहुत बड़ी गलती कर रहे हो आप यदि आप भी इसी भ्रम में जी रहे हो , ज़िंदगी छोटी सी नहीं है जब ज़िंदगी रुलाने पर आएगी ना तो आप से एक दिन नहीं कटेगा रातें बोझ लगने लगेंगी फिर ये छोटी सी ज़िंदगी आपको पहाड़ जितनी बड़ी दिखाई देगी और जब आप इसको लांघ नहीं पाओगे तब आप अपनी चिर आयु को ख़ुद ही समाप्त करना चाहोगे । अतः इस भ्रम से बाहर आओ और देखो जीवन कितना विशाल कितना सुंदर है यदि समय प्रतिकूल है तो इसका अर्थ ये नहीं कि आप प्रकृति और भाग्य को दोष दो ।विपरीत प्रस्थितीया एक परीक्षा है जिसमें उत्तीर्ण होना अपके लिए अनिवार्य है । एक लंबे संघर्ष के बाद जब आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हो तब आपके पास एक कहानी होती है जो औरों के जीवन के लिए प्रेरणा बनती है । अतः हताशा निराशा सफलता का ही एक अंग है लेकिन आपको इन्हें पर करना पड़ेगा और जब आप इनको पार कर जाते हो तब आप जीवन की विशाल प्रकाष्ठा को समझ पाते हो ।
जीवन है क्या ? क्या पैसा और भौतिक सुख को पाना ?
नहीं सच तो ये है आप पैसा और सांसारिक सुख कि चीजें (बड़ा घर बड़ी गाड़ी ) सिर्फ़ इसलिए प्राप्त करना चाहते है ताकि लोग आपसे प्रेम करे लोग आपको सम्मान दे ये सत्य है आप इससे किनारा नहीं कर सकते । लेकिन सत्य से परे आप जीवन को नहीं देख पाते सच तो ये है जो जीवन की असली परिभाषा वो ये है की आप प्रमार्थ को नहीं चुनते। आपकी पहली प्राथमिकता प्रमार्थ और परोपकार होना चाहिए ।दूसरो के लिये जीवन जीना जीवो से प्रेम करना यही तो असली मानव धर्म है । सेवा भाव से बड़ा धर्म और कर्म क्या हो सकता है ? आप इस चीज से आहत हो जाते हो की लोग आपको समझ क्यों नहीं पा रहे आप उनके प्रति कितना सेवा भाव रखते हो और बदले में आपको क्या मिलता है ? उनसे निंदा प्रतिकार ? सबसे बड़ी भूल यही होती है जब आप इनसे आहत होकर कर्तव्य विमुख हो जाते है । जीवन का सार यही है नेकी कर दरियाँ में डाल
एकाकी जीवन को अपनाकर आप अपने कर्तव्य पर डटे रहे लोगो कि विचारधारा को आप नहीं बदल सकते किंतु आप अपनी सँकरी विचारधारा का विस्तार कर आगे बढ़ सकते है ।आपको बुराई मिले या भलाई आप निरंतर प्रमार्थ करते हुए आगे बढ़े ।
जिस पेड़ पर फल होते है सबसे ज़्यादा पत्थर उसी को पड़ते है ।किंतु वो वृक्ष तब भी अपने कर्तव्य से विमुख नहीं होता ।
इससे संजीदा उदाहरण और क्या हो सकता है ।-
वृक्ष कबहुँ न फल भखै, नदी न संचय नीर
परमार्थ के कारने साधुन धरा शरीर
आज हमारी मानसिकता निजस्वार्थ और भौतिक धनभोग एवं इन्द्रिय-सुख तक ही सीमित हो चुकी है।
केवल अच्छा पढ़ने, सुनने अथवा कहने से ही कोई अच्छा नहीं बन जाता। मानव जीवन केवल अपने और अपने घर-परिवार के पालन पोषण तक ही सीमित नहीं होना चाहिए। अपनी क्षमता व सामर्थ्य के अनुसार ज़रुरतमंदों की मदद करना - समाजिक व नैतिक कार्यों में योगदान देना ही मानवता कहलाता है।
ज्यों जल बाढ़े नाव में - घर में बाढ़े दाम
दोनों हाथ उलीचिए यही सज्जन कौ काम
अतः सेवा भाव से बड़ा धर्म और कर्तव्य मानव के लिए और कुछ नहीं हो सकता जब आप ये सब जानलेते हो तब आप समय की मझधार से बहुत ऊपर उठ जाते हो समय चक्र आपके अनुकूल हो जाता है और अपने अंतर्मन में आप विजय का अनुभव लेकर अपनी सांसारिक यात्रा को पूर्ण कर जाते हो बस यही जीवन है ॥
आपका अपना कुँवर मोहित राणा
(धन्यवाद ठाकुर संजय सिंह भाई अन्तर्मन का बोध कराने के लिए ये लेख आपको समर्पित)